मां के मातृत्व पर तो न जाने कितने कलाम रच दिए हमनें ..... पिता के पितृत्व को उतना सराया ही नहीं हमनें ......! शायद हमनें पिता को जाना नहीं .... जाना भी तो पितृत्व को माना ही नहीं ....! शायद ऐसा कोई दर्द नहीं जो इन्होंने सहा नहीं ..... ये अलग बात है कि उन्होंने कभी कुछ कहा नहीं ....! अद्भुत है अनुपम है इनकी कहानी ..... इनकी तो फितरत में ही है कुर्बानी .....! तमाम उम्र खून - पसीना बहाया ... शायद बदले में अपने हिस्से का मान-सम्मान भी न पाया ........! इतना समर्पित इतना बलिदानी इतना कर्त्तव्यपरायण इतना सहनशील इतना संवेदनशील कोई कैसे हो सकता है ...... यकीन मानिए ऐसा तो बस एक पिता ही हो सकता है .....! #fatherlove #पापा_का_प्यार