गुजरते वक़्त में या ठहरे किसी लम्हे में मै हूं कहां अंत में या अनंत में मैं हूं कहां शख्सियत में खुद के या जज्बातों में या किसी के खयालातों में मैं हूं कहां..... मां बाप के सेवा सत्कार में या छोटी बहन के पुकार में बड़े भाई के दबकार में या यारों के यार में किसी की नफरत में या " बेहिसाब प्यार में" मैं हूं कहां ... किसी मंज़िल की तलाश में या किसी भटकी हुई राह में मैं हूं कहां.. दिन के उजाले में या रात के अंधकार में मैं हूं कहां..... खुद के वजूद की तलाश में मैं हूं कहां.......। ~राहुल कान्त वैष्णव #मैं_हूं_कहां #तलाश खुद की #जिंदगी