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अपनों से वफ़ा की उम्मीद कर बैठा ! हाय कैसा मैं ये ज

अपनों से वफ़ा की उम्मीद कर बैठा ! हाय कैसा मैं ये जुर्म संगीन कर बैठा।
अपनो से वफ़ा की उम्मीद कर बैठा।

आसमाँ को छूती खुशियां जमीन कर बैठा।
है कैसा ये जुर्म संगीन कर बैठ।

अंधेरे में छिपे उन दागी चेहरों को मैं हसीन कर बैठा।
हाय कैसा मैं ये जुर्म संगीन कर बैठा। Binita Singh Jyoti Mukesh Kumar Chhotu Prasad Meera Bai
अपनों से वफ़ा की उम्मीद कर बैठा ! हाय कैसा मैं ये जुर्म संगीन कर बैठा।
अपनो से वफ़ा की उम्मीद कर बैठा।

आसमाँ को छूती खुशियां जमीन कर बैठा।
है कैसा ये जुर्म संगीन कर बैठ।

अंधेरे में छिपे उन दागी चेहरों को मैं हसीन कर बैठा।
हाय कैसा मैं ये जुर्म संगीन कर बैठा। Binita Singh Jyoti Mukesh Kumar Chhotu Prasad Meera Bai
vkviraz9338

V.k.Viraz

Silver Star
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