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{Typical love poem) ... याद है वो दिन तुम्हें जब

{Typical love poem)
... 

याद है वो दिन तुम्हें
जब exam रूम में
तुम बैठी थी मेरे बग़ल वाली सीट पर? 
मुझे पता नहीं था 
कि तुम भी B.Com में हो। 
(पता भी कैसे चलता, मैं कभी class में आया जो नहीं) 

सवेरे 4 बजे से उठकर उस दिन
ख़ूब रटी थी "कुंजी" मैंने। 
लग तो रहा था, By god आज top कर दूँगा। 
पर exam hall में घुसते ही आधा दिमाग़ साफ़ हो गया 
और तुम्हारे बग़ल में बैठते ही बाक़ी का आधा भी।
....

(Read full poem in caption below 👇)

©Yamit Punetha [Zaif] #OurMeeting #PoetryOnline #mulaqaat #Love  #poem #zaif #nojoto



याद है वो दिन तुम्हें
जब exam रूम में
तुम बैठी थी मेरे बग़ल वाली सीट पर? 
मुझे पता नहीं था
{Typical love poem)
... 

याद है वो दिन तुम्हें
जब exam रूम में
तुम बैठी थी मेरे बग़ल वाली सीट पर? 
मुझे पता नहीं था 
कि तुम भी B.Com में हो। 
(पता भी कैसे चलता, मैं कभी class में आया जो नहीं) 

सवेरे 4 बजे से उठकर उस दिन
ख़ूब रटी थी "कुंजी" मैंने। 
लग तो रहा था, By god आज top कर दूँगा। 
पर exam hall में घुसते ही आधा दिमाग़ साफ़ हो गया 
और तुम्हारे बग़ल में बैठते ही बाक़ी का आधा भी।
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याद है वो दिन तुम्हें
जब exam रूम में
तुम बैठी थी मेरे बग़ल वाली सीट पर? 
मुझे पता नहीं था
yamitpunethazaif3604

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