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*घर* जहाँ आपस में विश्वास हो .. रिश्ता बहुत ही खास

*घर*
जहाँ आपस में विश्वास हो ..
रिश्ता बहुत ही खास हो...
हो अपनेपन की जमीन जहाँ.
और छत पर हर दिन मधुमास हो...!!!
उस जगह को हम घर कहते हैं.....!!
हम ऐसे घर में रहते हैं...!!

जहाँ भार्या लक्ष्मी स्वरूपा हो.
बहू-बेटी परम पुनीता हो..
बुजुर्गो का हो सम्मान जहाँ..
मुखिया में बसती हो सबकी जान जहाँ ....!!
उस जगह को हम घर कहते हैं....!!
हम ऐसे घर में रहते हैं...!!

जहाँ अतिथि को सत्कार मिले...!
बच्चों को प्यार दुलार मिले..
सुसंस्कार हों सबकी रग-रग में...!!
जहाँ हर दिन इक त्योहार लगे...!!
उस जगह को हम घर कहते हैं...!!
हम ऐसे घर में रहते हैं..!!

चेहरे पर सबके *मुस्कान* हो 
बसती इक दूजे में सबकी जान हो...!!
कोई पल भर भी खालीपन ना
महसूस करे...!!
ऐसा आपस में सबका व्यवहार हो..!!
उस जगह को हम घर कहते हैं...
हम ऐसे घर में रहते हैं..!! 

जहाँ बेटा-बेटी फर्क ना हो..
उच्छंखलता  का हर्फ ना हो
सास-बहू में बनती हो..
स्वच्छता जहाँ पर थमती हो 
उस जगह को हम घर कहते हैं...!!
हम ऐसे घर में रहते हैं..!!

घर सबके ऐसे बन जाएँ...
सब जन्नत सा सुख पा जाएँ.
हम तो हैं खुशहाल बहुत...
दुनियाँ वाले भी ऐसा सुख पाएँ....
इस दुआ को हम वर कहते हैं..
हम दिल से सबको देते हैं..!!
हम दिल से सबको देते हैं..!!

लेखिका-प्रतिभा द्विवेदी उर्फ मुस्कान©
सागर मध्यप्रदेश ( 24 फरवरी 2020 )
मेरी यह रचना पूर्णता स्वरचित मौलिक व प्रमाणिक है सर्वाधिकार लेखिका के हैं इसके व्यवसायिक उपयोग करने के लिए लेखिका की लिखित अनुमति अनिवार्य है धन्यवाद 🙏 #घर #प्रतिभाउवाच #लेखिकाप्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कानकीकलमसे #स्वरचित #नोजोटोहिंदी #नोजोटोआफीसियल  Sahani Baleshwar shivani Nikita  kruti parmar Mahek Gupta
*घर*
जहाँ आपस में विश्वास हो ..
रिश्ता बहुत ही खास हो...
हो अपनेपन की जमीन जहाँ.
और छत पर हर दिन मधुमास हो...!!!
उस जगह को हम घर कहते हैं.....!!
हम ऐसे घर में रहते हैं...!!

जहाँ भार्या लक्ष्मी स्वरूपा हो.
बहू-बेटी परम पुनीता हो..
बुजुर्गो का हो सम्मान जहाँ..
मुखिया में बसती हो सबकी जान जहाँ ....!!
उस जगह को हम घर कहते हैं....!!
हम ऐसे घर में रहते हैं...!!

जहाँ अतिथि को सत्कार मिले...!
बच्चों को प्यार दुलार मिले..
सुसंस्कार हों सबकी रग-रग में...!!
जहाँ हर दिन इक त्योहार लगे...!!
उस जगह को हम घर कहते हैं...!!
हम ऐसे घर में रहते हैं..!!

चेहरे पर सबके *मुस्कान* हो 
बसती इक दूजे में सबकी जान हो...!!
कोई पल भर भी खालीपन ना
महसूस करे...!!
ऐसा आपस में सबका व्यवहार हो..!!
उस जगह को हम घर कहते हैं...
हम ऐसे घर में रहते हैं..!! 

जहाँ बेटा-बेटी फर्क ना हो..
उच्छंखलता  का हर्फ ना हो
सास-बहू में बनती हो..
स्वच्छता जहाँ पर थमती हो 
उस जगह को हम घर कहते हैं...!!
हम ऐसे घर में रहते हैं..!!

घर सबके ऐसे बन जाएँ...
सब जन्नत सा सुख पा जाएँ.
हम तो हैं खुशहाल बहुत...
दुनियाँ वाले भी ऐसा सुख पाएँ....
इस दुआ को हम वर कहते हैं..
हम दिल से सबको देते हैं..!!
हम दिल से सबको देते हैं..!!

लेखिका-प्रतिभा द्विवेदी उर्फ मुस्कान©
सागर मध्यप्रदेश ( 24 फरवरी 2020 )
मेरी यह रचना पूर्णता स्वरचित मौलिक व प्रमाणिक है सर्वाधिकार लेखिका के हैं इसके व्यवसायिक उपयोग करने के लिए लेखिका की लिखित अनुमति अनिवार्य है धन्यवाद 🙏 #घर #प्रतिभाउवाच #लेखिकाप्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कानकीकलमसे #स्वरचित #नोजोटोहिंदी #नोजोटोआफीसियल  Sahani Baleshwar shivani Nikita  kruti parmar Mahek Gupta