कम्बखत कम्बल की जरुरत भी महसूस नहीं होती अब तो मैंने तेरी यादों को इस कदर ओढा है कि अब कोई हवा मेरी रूह को छु भी नहीं पाती है । ©Aziz rooh #OurRights Umesh Pasi Umesh Pasi