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वक़्त का सिलसिला हमारे दर्मिया कुछ इस क़दर बढ़ा, ज

वक़्त का सिलसिला हमारे दर्मिया कुछ इस क़दर बढ़ा,
जो जज्बातों को समझता था वो आंखो को भी ना पढ़ा
कहते है प्यार एक बहुत ही खूबसूरत सा एहसास है,
बेबाक इश्क की खता कर बैठे हम भी कहीं उस से,
ये हमारी नक्बत है जो मेरे प्यार का असर तक ना पड़ा।

~आशुतोष दुबे # तुम समझ ना सकी..
वक़्त का सिलसिला हमारे दर्मिया कुछ इस क़दर बढ़ा,
जो जज्बातों को समझता था वो आंखो को भी ना पढ़ा
कहते है प्यार एक बहुत ही खूबसूरत सा एहसास है,
बेबाक इश्क की खता कर बैठे हम भी कहीं उस से,
ये हमारी नक्बत है जो मेरे प्यार का असर तक ना पड़ा।

~आशुतोष दुबे # तुम समझ ना सकी..