हम संभलने को आतुर हैं, पर संभला नहीं जाए। ये इत्तेफाक है अगर तो सच में किया क्या जाए। कुछ करना नहीं है हमको, किस्मत के भरोसे हैं। बस चाहने से होगा, तो क्या भी जाए। क्या किया जाए