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-नई पड़ोसन- हँसता चेहरा, टिमटिमाती आँखे,चटपटी बाते

-नई पड़ोसन-

हँसता चेहरा,
टिमटिमाती आँखे,चटपटी बातें
ये उसके रूहानी सख्सियत का खाका भर है।
लफ़्ज साफ-साफ सुने नहीं मैंने,
पर लहजा कानपुरिया मालूम पड़ा
मुलाकातें कुछ खास नहीं हुई अबतक
हाँ!आपा से  बातों की कुछ अदला बदली की है।
साफदिल,संजीदगी,हँसी-ठिठोली का
कॉकटेल मालूम पड़ती है।
साजिशे उसके अक्स को छूती तक नहीं
रहने भर को कबूतर खाना
अक्सर उसे,इसे आशियाना कहते,
कई बार सुना हैं।
घर उसका साजो सामान से भरा तो नहीं
पर हाँ!
दिल में पुरानी यादों की गठरी लिए घूमती है 
ये अन्दाजा भर नहीं है मेरा।
एकाधा बूदें पलकों के कोर से टपकती देखी है,
मैंने कभी-कभी
परदेश का अकेलापन
इसे ही कहते है,शायद!

दुर्गा बंगारी #nayi padosan
-नई पड़ोसन-

हँसता चेहरा,
टिमटिमाती आँखे,चटपटी बातें
ये उसके रूहानी सख्सियत का खाका भर है।
लफ़्ज साफ-साफ सुने नहीं मैंने,
पर लहजा कानपुरिया मालूम पड़ा
मुलाकातें कुछ खास नहीं हुई अबतक
हाँ!आपा से  बातों की कुछ अदला बदली की है।
साफदिल,संजीदगी,हँसी-ठिठोली का
कॉकटेल मालूम पड़ती है।
साजिशे उसके अक्स को छूती तक नहीं
रहने भर को कबूतर खाना
अक्सर उसे,इसे आशियाना कहते,
कई बार सुना हैं।
घर उसका साजो सामान से भरा तो नहीं
पर हाँ!
दिल में पुरानी यादों की गठरी लिए घूमती है 
ये अन्दाजा भर नहीं है मेरा।
एकाधा बूदें पलकों के कोर से टपकती देखी है,
मैंने कभी-कभी
परदेश का अकेलापन
इसे ही कहते है,शायद!

दुर्गा बंगारी #nayi padosan