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एक वीरांगना महारानी पद्मावती हारियाली से दूर मरुस

एक वीरांगना महारानी पद्मावती

हारियाली से दूर मरुस्थल की चादरों में,
खिली कमल सी वो तपती धूप की आंचलों में,
चेहरे का वो तेज ऐसा मानो धरती पर उतरा हो एक चांद का टुकड़ा..
राजपूतानी शान में पली बढ़ी वह..
तपती धूप में शीतलता की वह चांदनी,
रत्नसिंह से ब्याही गई वह तपती धूप की रागनी..
उसके तेज के अद्भुत श्रृंगार से जगमगाया किला चित्तौड़ का...
मरुस्थल से दूर सल्तनत के सिंहासन में,
बैठा है एक क्रूर...
उसके सिंहासन तक भी उसका तेज हैं पहुंचा..
हवस की नजर लिए निकाल पड़ा वह क्रूर..
युद्ध भूमि में धर्म अधर्म का युद्ध चला है,
चित्तौड़ के अंगने भी सतीत्व का अलख जगा है,
युद्ध में अधर्म की विजय हुई हैं..
पर चित्तौड़ के अंगने हार गया वह क्रूर.
रंग भूमि तो छोड़ो उस देवी ने तो उसे अंगने धूल चटाई हैं..
आंखो में उसे पाने की चाह और जीवन की सबसे बड़ी हार लिए लौट गया वह क्रूर,
लौट गया वह क्रूर....



^श्रेया मिश्रा_
Shreya mishra









































 #एक वीरांगना महारानी पद्मावती
एक वीरांगना महारानी पद्मावती

हारियाली से दूर मरुस्थल की चादरों में,
खिली कमल सी वो तपती धूप की आंचलों में,
चेहरे का वो तेज ऐसा मानो धरती पर उतरा हो एक चांद का टुकड़ा..
राजपूतानी शान में पली बढ़ी वह..
तपती धूप में शीतलता की वह चांदनी,
रत्नसिंह से ब्याही गई वह तपती धूप की रागनी..
उसके तेज के अद्भुत श्रृंगार से जगमगाया किला चित्तौड़ का...
मरुस्थल से दूर सल्तनत के सिंहासन में,
बैठा है एक क्रूर...
उसके सिंहासन तक भी उसका तेज हैं पहुंचा..
हवस की नजर लिए निकाल पड़ा वह क्रूर..
युद्ध भूमि में धर्म अधर्म का युद्ध चला है,
चित्तौड़ के अंगने भी सतीत्व का अलख जगा है,
युद्ध में अधर्म की विजय हुई हैं..
पर चित्तौड़ के अंगने हार गया वह क्रूर.
रंग भूमि तो छोड़ो उस देवी ने तो उसे अंगने धूल चटाई हैं..
आंखो में उसे पाने की चाह और जीवन की सबसे बड़ी हार लिए लौट गया वह क्रूर,
लौट गया वह क्रूर....



^श्रेया मिश्रा_
Shreya mishra









































 #एक वीरांगना महारानी पद्मावती