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Unsplash अब काश मेरे दर्द की कोई दवा न हो बढ़ता ही

Unsplash अब काश मेरे दर्द की कोई दवा न हो
बढ़ता ही जाये ये तो मुसल्सल शिफ़ा न हो
बाग़ों में देखूं टूटे हुए बर्ग ओ बार ही
मेरी नजर बहार की फिर आशना न हो
ये कैसी रिहाई?

©Nandu Raj #library    shayari love zindagi sad shayari
Unsplash अब काश मेरे दर्द की कोई दवा न हो
बढ़ता ही जाये ये तो मुसल्सल शिफ़ा न हो
बाग़ों में देखूं टूटे हुए बर्ग ओ बार ही
मेरी नजर बहार की फिर आशना न हो
ये कैसी रिहाई?

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nanduraj6874

Bihari_Babu_

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