एक बात बताओ,
यूं ही जब तुम दबे पांव आकर चेहरे पर मुस्कान लिए जो दस्तक दे जाती हो, क्या जानती हो तुम्हारे जाने के बाद क्या बचता है यहां?
यह जो तुम सच-झूठ और सही-गलत के आगे के पाठ अपनी आंखों में रट-समझ कर लाती हो, क्या याद रहेगा वह मुझे परीक्षाओं में?
लहरों की तरह अल्हड़ सी आकर भींगा जाती हो मेरा मन, क्या जानती हो कैसा ताप लेकर आता है तुम्हारे दो पल का स्पर्श?
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