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उन गलियों में तेरा जाना तो जरूर होगा जिन गलियों से

उन गलियों में तेरा जाना तो जरूर होगा
जिन गलियों से कभी गुजरा मैं था।
जमाने की ही फिक्र तुझे थी
हमारा क्या , हमारा तो रोज आना जाना था।
वो नजरे ना मिली होती तो अच्छा था
नजरें चुराना का ना बहाना होता ।
जमाने की ही फिक्र तुझे थी
हमारा क्या, हमारा तो रोज़ आना जाना था।
कभी रात में कभी सुबह में आना जाना तो 
एक बहाना था।
नजरें बस मिल जाएं यही अफसाना था।
तू भी कम नही थी 
पता था इसका तो यही ठिकाना है 
इसलिए जनबुझके दरवाजे पे दस्तक देना तेरा भी 
अफसान था ।
फिर जमाने की क्यों फिक्र तुझे
जब दोनो को दिल लगाना था ।
।। किशन सिंह।।

©Kishan singh prayagraj
  #किशन_की_कविता