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करता रहता हूँ अक्सर, चाँद से #बातें_तेरी की क

करता रहता हूँ अक्सर, चाँद से #बातें_तेरी
     की क्यों #सताती है, बे-बक्त वो #यादें_तेरी..!
क्यों कर गई है, मुझे खुद से #बेगाना_तू
     इतनी क्यों #बदल_गई है, मेरी #जाना_तू..!!

©King A Kay
करता रहता हूँ अक्सर, चाँद से #बातें_तेरी
     की क्यों #सताती है, बे-बक्त वो #यादें_तेरी..!
क्यों कर गई है, मुझे खुद से #बेगाना_तू
     इतनी क्यों #बदल_गई है, मेरी #जाना_तू..!!

©King A Kay