अंतःकरण में एक बात उभरी डरी और जरा फिर सहमी। बोली क्यूँ क्षोभ भरूं मन में क्षण भर का लोभ करूं तन में विगत परिवर्तन का आभास लिए नये तजुर्बे का प्रभास लिए, क्यूं न अब नव जीवन का प्रमाण लिए एक नवीनतम इतिहास लिखूं।। इतने में आह लिए खुद से ही मुख फेरा फेरबदल के चक्कर में, जीवन के हर उस क्षण का जो अकथनीय हुए थे अब उन सबका आकाश लिखूं।। ©Shilpa yadav #opensky #migration #ourrules #parent Dhyaan mira praveen storyteller Shahab Aman Shrivastava sumit upadhyay darshan Raj Yaduvanshi Sandip rohilla jp lodhi omi Sharma dayal deep goswami anjaan manak desai Anurag baudh vk viraj ashutosh yadav