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*अवांछित सोच* कभी-कभी मैं यु होता हूँ! जैसे मैं

*अवांछित सोच*

कभी-कभी मैं यु होता हूँ! 
जैसे मैं किसी बंद अँधेरे कमरे में बैठा हूँ 
और अपने आप में खोया हुआ हूँ...!!
तभी अचानक एक आहत होती है और 
कोई अज्ञात सोच मेरी सोच को कमजोर बना रही हो !
फिर मैं अपने आपको सँभालता हूँ और 
उस कमरे से बाहर आने की कोशिश करता हूँ,
वही दूसरी तरफ बंद दरवाज़े मैं एक छेद है !
जहाँ से रौशनी की कुछ किरणें अंदर आ रही है जो 
मुझे मजबूर कर रही आस पास के अधेरे को कम करने में...!!
और मैं पीछे होता हू दिवार के पास लग कर बैठ जाता हु 
फिर से अँधेरा ढूंढ़ने की कोशिश करता हु! 
लेकिन किरणो का अपना निरंतर कार्य जारी रहता है 
मैं खुद को उनसे छुपाते हुए अँधेरे को खोजता रहता हु 
अब इसे आप मेरी मानसिकता कहो या फिर अकेलापन 
क्योंकि अब मुझे अकेले में रहने की आदत हो गयी है...!!

©Naveen Chauhan
  *अवांछित सोच*

कभी-कभी मैं यु होता हूँ! 
जैसे मैं किसी बंद अँधेरे कमरे में बैठा हूँ 
और अपने आप में खोया हुआ हूँ...!!
तभी अचानक एक आहत होती है और 
कोई अज्ञात सोच मेरी सोच को कमजोर बना रही हो !
फिर मैं अपने आपको सँभालता हूँ और
chauhannaveen0753

Nobita

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*अवांछित सोच* कभी-कभी मैं यु होता हूँ! जैसे मैं किसी बंद अँधेरे कमरे में बैठा हूँ और अपने आप में खोया हुआ हूँ...!! तभी अचानक एक आहत होती है और कोई अज्ञात सोच मेरी सोच को कमजोर बना रही हो ! फिर मैं अपने आपको सँभालता हूँ और #Thoughts

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