Nojoto: Largest Storytelling Platform

बेशर्मी और निर्लज्जता की हद देखिए...

बेशर्मी और निर्लज्जता की हद देखिए...

               एक हिन्दू महिला के विरुद्ध लगातार आग उगल रहे हैं, जान से मारने के फतवे दे रहे हैं, बलात्कार की धमकी दे रहे हैं और ये हाल तब है जब ये मात्र 20% हैं.

               गम्भीरता से सोचिए ! आपके सामने आपकी महिला को कट्टरपंथी खुलेआम गर्दन काटने, बलात्कार की धमकी दे रहे हैं, _पोस्टर_  चिपका रहे हैं जहां आप बाहुल्य समाज है.

               उनका दुस्साहस देखिए ! आपके इलाके में जाकर आपकी महिला संबंधी के विरुद्ध प्रदर्शन में आपकी दुकानें बंद करवाने पहुंच गए. नहीं माने तो पत्थरबाज़ी कर दंगा कर दिया...

               ये हाल तब है जब वे 20 दिनों से लगातार ’फव्वारा’ चिल्ला रहे हैं.

               यहां मसला केवल एक महिला का नहीं, बल्कि गर्दन काटने को उतारू उस कट्टरपंथ मानसिकता का है जिसका प्रतिकार बहुत आवश्यक है. समय रहते इसे बढ़ने से रोकना बहुत आवश्यक है वरना देश में जंगलराज हो जाएगा.

               इसे यहीं रोकिए, हल्के में मत लीजिए...

               मानवता वाली भूमि को रेगिस्तान बनने से रोक लीजिए...

               आप घिर चुके हैं...

               ...ठीक उसी प्रकार जैसे शतरंज में राजा को प्यादे,

               जंगल में शेर को भेड़िए

               और चक्रव्यूह में अभिमन्यु...

               शरजील इमाम ने _’चिकेन नेक’_  की बात की. आप जानते हैं हर शहर का एक _चिकन नेक_  होता है ! हर बाजार का एक _चिकेन नेक_  होता है और सभी _चिकन नेक_  पर उनका कब्जा है.

               आप अपने शहर के _मार्केट_  निकल जाइए. अपना _लैपटाप_  बनवाने, _मोबाईल_  बनवाने या कपड़े सिलवाने. आप को अंदाजा नहीं है कि चुपचाप _’बिज़नेस_  जिहाद’ कितना हावी हो चुका है.

               गुजरात का जामनगर हो, लखनऊ का हजरतगंज, मुम्बई का हाजी अली, गोरखपुर का हिंदी बाजार या दिल्ली का करोलबाग...  _’चेक मेट’_  हो चुके हैं आप. हर जगह इनका कब्जा हो चुका है !

               उतने जमीन पर आप के मंदिर नहीं हैं जितनी जमीनें उनके पास ’कब्रिस्तान’ के नाम पर रसूल की हो चुकी हैं ! एक दर्जी की दुकान पर सिलाई करने वाले सभी उनके हममज़हब हैं, _चेन_  से लेकर _बटन_  तक के _सप्लायर_  नमाजी हैं ! ढाबे उनके, _होटल_  उनके, _ट्रांसपोर्ट_  का बड़ा कारोबार हो या ओला उबर का _ड्राइवर,_  सब जुमा वाले हैं.

               आप शहर में चंदन जनेऊ ढूढते रहिए. नहीं पाएंगे. वहीं हर चौराहे पर एक कसाई बैठा है.

               घिर चुके हैं आप !

               उपाय इसका इतना आसान नहीं है. गहराई से काम करना होगा. अपनी दुकानें बनानी होंगी. अपना भाई हर जगह बैठाना होगा.

               वरना #गजवा_ए_हिंद चुपचाप पसार चुका है अपना पांव, बस घोषणा होनी बाकी है !

               शेर दहाड़ते ही रह गया, भेड़िए जंगल पर कब्ज़ा बना कर बैठ चुके हैं.

               आँखे बंद करिए और ध्यान दीजिए. हर जगह आप को ’नारा ए तकबील, अल्ला हू अकबर’ सुनाई देगा...

               और अगर नहीं सुनाई दे रहा है तो मुगालते मे हैं आप।🙏

©aditya jha #Health
बेशर्मी और निर्लज्जता की हद देखिए...

               एक हिन्दू महिला के विरुद्ध लगातार आग उगल रहे हैं, जान से मारने के फतवे दे रहे हैं, बलात्कार की धमकी दे रहे हैं और ये हाल तब है जब ये मात्र 20% हैं.

               गम्भीरता से सोचिए ! आपके सामने आपकी महिला को कट्टरपंथी खुलेआम गर्दन काटने, बलात्कार की धमकी दे रहे हैं, _पोस्टर_  चिपका रहे हैं जहां आप बाहुल्य समाज है.

               उनका दुस्साहस देखिए ! आपके इलाके में जाकर आपकी महिला संबंधी के विरुद्ध प्रदर्शन में आपकी दुकानें बंद करवाने पहुंच गए. नहीं माने तो पत्थरबाज़ी कर दंगा कर दिया...

               ये हाल तब है जब वे 20 दिनों से लगातार ’फव्वारा’ चिल्ला रहे हैं.

               यहां मसला केवल एक महिला का नहीं, बल्कि गर्दन काटने को उतारू उस कट्टरपंथ मानसिकता का है जिसका प्रतिकार बहुत आवश्यक है. समय रहते इसे बढ़ने से रोकना बहुत आवश्यक है वरना देश में जंगलराज हो जाएगा.

               इसे यहीं रोकिए, हल्के में मत लीजिए...

               मानवता वाली भूमि को रेगिस्तान बनने से रोक लीजिए...

               आप घिर चुके हैं...

               ...ठीक उसी प्रकार जैसे शतरंज में राजा को प्यादे,

               जंगल में शेर को भेड़िए

               और चक्रव्यूह में अभिमन्यु...

               शरजील इमाम ने _’चिकेन नेक’_  की बात की. आप जानते हैं हर शहर का एक _चिकन नेक_  होता है ! हर बाजार का एक _चिकेन नेक_  होता है और सभी _चिकन नेक_  पर उनका कब्जा है.

               आप अपने शहर के _मार्केट_  निकल जाइए. अपना _लैपटाप_  बनवाने, _मोबाईल_  बनवाने या कपड़े सिलवाने. आप को अंदाजा नहीं है कि चुपचाप _’बिज़नेस_  जिहाद’ कितना हावी हो चुका है.

               गुजरात का जामनगर हो, लखनऊ का हजरतगंज, मुम्बई का हाजी अली, गोरखपुर का हिंदी बाजार या दिल्ली का करोलबाग...  _’चेक मेट’_  हो चुके हैं आप. हर जगह इनका कब्जा हो चुका है !

               उतने जमीन पर आप के मंदिर नहीं हैं जितनी जमीनें उनके पास ’कब्रिस्तान’ के नाम पर रसूल की हो चुकी हैं ! एक दर्जी की दुकान पर सिलाई करने वाले सभी उनके हममज़हब हैं, _चेन_  से लेकर _बटन_  तक के _सप्लायर_  नमाजी हैं ! ढाबे उनके, _होटल_  उनके, _ट्रांसपोर्ट_  का बड़ा कारोबार हो या ओला उबर का _ड्राइवर,_  सब जुमा वाले हैं.

               आप शहर में चंदन जनेऊ ढूढते रहिए. नहीं पाएंगे. वहीं हर चौराहे पर एक कसाई बैठा है.

               घिर चुके हैं आप !

               उपाय इसका इतना आसान नहीं है. गहराई से काम करना होगा. अपनी दुकानें बनानी होंगी. अपना भाई हर जगह बैठाना होगा.

               वरना #गजवा_ए_हिंद चुपचाप पसार चुका है अपना पांव, बस घोषणा होनी बाकी है !

               शेर दहाड़ते ही रह गया, भेड़िए जंगल पर कब्ज़ा बना कर बैठ चुके हैं.

               आँखे बंद करिए और ध्यान दीजिए. हर जगह आप को ’नारा ए तकबील, अल्ला हू अकबर’ सुनाई देगा...

               और अगर नहीं सुनाई दे रहा है तो मुगालते मे हैं आप।🙏

©aditya jha #Health