भींगी सी सुबह, बादलों से सनी है। गुलाबी सी रंगत लिए, किसकी यादों से तरी है? झिर-झिर सी बूंदें मानो बीती कहानी की लकीरें, जाने किसकी याद दिलातीं ,क्यूँ बेचैन कर जातीं रह -रह कर यों मन आंगन मे झड़ी हैं.. बारिश का ये सुर मानो पुकारे है कोई दूर कानो मे मीठा सा दर्द घोलती हाए ! किसकी यादें, यूँ बारिश मे सुलगी हैं....... @nidhidwivedi #uski yad barish me..