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हर बार सोचकर कई बातें, बस यूँही मैं रह जाता हूँ,

हर बार सोचकर कई बातें, 
बस यूँही मैं रह जाता हूँ,
  मुझे कुछ कहना है उससे,
      पर कुछ कह नहीं मैं पाता हूँ ।

कितना लगाव है मुझे उससे,
       ये उससे ही भला क्यूं मैं छुपाता हूँ,
                पल-पल करता हूं,कमी जिसकी महसूस, 
ये क्यों नहीं उसे मैं बताता हूँ ।


      अपनी लेखनी में जिक्र उसका,
बड़े चाव से मैं लाता हूँ,
    बस, कई बातें दिल की अपनी,
इसी राह उसे पहुंचाता हूं ।

हर लिखे छंद में मेरे,
  मैं उसको ही गुनगुनाता हूँ,
हर अल्फ़ाज़ से उसकी तारीफ़,
दिल से अपने मैं सुनाता हूँ ।

मैं उसे कितना चाहता हूँ,
   पर उसे क्यूं नहीं सब बतलाता हूँ ।

बुरा न लग जाए उसको कहीं,
        अपने मन से, दिल को बार-बार मैं डराता हूँ,
मुझे कुछ कहना तो है उससे,
पर इसीलिए मैं उसे कुछ नहीं बताता हूँ ।।
 
   विशाल प्रेम कह नही मैं पाता हूँ ।।
हर बार सोचकर कई बातें, 
बस यूँही मैं रह जाता हूँ,
  मुझे कुछ कहना है उससे,
      पर कुछ कह नहीं मैं पाता हूँ ।

कितना लगाव है मुझे उससे,
       ये उससे ही भला क्यूं मैं छुपाता हूँ,
                पल-पल करता हूं,कमी जिसकी महसूस, 
ये क्यों नहीं उसे मैं बताता हूँ ।


      अपनी लेखनी में जिक्र उसका,
बड़े चाव से मैं लाता हूँ,
    बस, कई बातें दिल की अपनी,
इसी राह उसे पहुंचाता हूं ।

हर लिखे छंद में मेरे,
  मैं उसको ही गुनगुनाता हूँ,
हर अल्फ़ाज़ से उसकी तारीफ़,
दिल से अपने मैं सुनाता हूँ ।

मैं उसे कितना चाहता हूँ,
   पर उसे क्यूं नहीं सब बतलाता हूँ ।

बुरा न लग जाए उसको कहीं,
        अपने मन से, दिल को बार-बार मैं डराता हूँ,
मुझे कुछ कहना तो है उससे,
पर इसीलिए मैं उसे कुछ नहीं बताता हूँ ।।
 
   विशाल प्रेम कह नही मैं पाता हूँ ।।
vishalprem5792

VISHAL PREM

New Creator

कह नही मैं पाता हूँ ।। #विचार