कुचलकर ख़्वाबों का गुलिस्तां मेरा , जो इस कदर मुस्कुराए हो तुम... मसलकर मेरी खुशबूओं को जो फिज़ाओं में बिखेर आये हो तुम.... सच कहो, तो सुन भी लूं मैं,तुम्हारी बात ज़रा... मेरी बातों को तो बेमतलब बता आए हो तुम... चलो समझा दो मुझे ,किस तरह तुम्हे अपना हिस्सा कह दूं... मेरे आशियाने के हज़ार टुकड़े फैले हैं यहाँ... ढूँढ सको तो ढूँढ लो , वो कौन सा है जो तुम्हारा है... जो मेरे दिल मे था उसका तो क़त्ल कर आये हो तुम... किस क़दर मुस्कुराये हो तुम... जीत... #दिलकीबात