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उम्मीदों का हम बाजार लगाए बैठे थे,,, कत्ल कर निकल

उम्मीदों का हम बाजार लगाए
बैठे थे,,,
कत्ल कर निकल गया
वो जिसे हम
दिल से लगाए
बैठे थे।।।
उम्मीदों का हम बाजार लगाए
बैठे थे,,,
कत्ल कर निकल गया
वो जिसे हम
दिल से लगाए
बैठे थे।।।
mrav3406438639825

arun srma

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