वक्त काफी हो गया एसा सोचते हुए । अब कलम भी कह उठी की फेसला तो किजीए ।। हाँ यही है फेसला......2 जो दिखेगा अब यहा आगे-आगे ये कलम खुद करेगी वो बया ।। हाँ सही ये बात है तूझ पर ही तो नाज हैं । ओर का क्यू कहू जब तूने दी जुबान है।। मे आयना समाज का -2 अब सच कहुगी मे यहाँ होश में रहोगे तब -2 सुनना मेने क्या कहा ।। poetry jyoti khandelwal. Sirohi jyoti khandelwal