मेरे आँसुओं के कतरे से बना है इसीलिए समुंद्र का पानी खारा है। रो देता हूँ जब दिल गमगीन होता है तभी तो सागर और भी नमकीन होता है। वही नमक तुमने खाया है इसका हक अदा करना हमने तुमसे वफा की है बस तुम भी वफा करना। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ नमकीन