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नया इक आशियाना चाहती है। मुहब्बत फिर बहाना चाहती ह

नया इक आशियाना चाहती है।
मुहब्बत फिर बहाना चाहती है।।

वो तुझसे प्यार तो करती है लेकिन।
वो पहले आज़माना चाहती है।।

ये कजरे गजरे मँहदी बिंदी वाली।
तेरी बाहों में आना चाहती है।।

ग़रीबों से कहो आँसू बहाएँ।
अमीरी मुस्कुराना चाहती है।।

अँधेरों के इशारे पर हवा भी।
चराग़ों को बुझाना चाहती है।।

जो घायल कर दे तो पानी न माँगे।
नज़र ऐसा निशाना चाहती है।।

ज़रा-सी  बात पे बट जाते है सब।
सिसायत क्या दिखाना चाहती हैं।।

©priya khushbu #OneSeasonshayari गरीबों से कहो आँसू बहाये।।
नया इक आशियाना चाहती है।
मुहब्बत फिर बहाना चाहती है।।

वो तुझसे प्यार तो करती है लेकिन।
वो पहले आज़माना चाहती है।।

ये कजरे गजरे मँहदी बिंदी वाली।
तेरी बाहों में आना चाहती है।।

ग़रीबों से कहो आँसू बहाएँ।
अमीरी मुस्कुराना चाहती है।।

अँधेरों के इशारे पर हवा भी।
चराग़ों को बुझाना चाहती है।।

जो घायल कर दे तो पानी न माँगे।
नज़र ऐसा निशाना चाहती है।।

ज़रा-सी  बात पे बट जाते है सब।
सिसायत क्या दिखाना चाहती हैं।।

©priya khushbu #OneSeasonshayari गरीबों से कहो आँसू बहाये।।