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हां क्यों ना खोजूं मैं शब्दों में खोया प्रेम... श

हां क्यों ना खोजूं मैं 
शब्दों में खोया प्रेम...
शहर रहा ये खाली,
कमरा खाली, नींद बागी
क्यों ना तड़पूं मैं... 
मय की नहीं मैं आदि,
ख्वाब बंजार, आंखें 
खाली, उम्मीदें अभागी,
बरबस भगदड़ सी बेवजह 
मन में जागी कंगाली, 
निर्मोही बनी ना भूलकर 
कुछ भूलूं बात सारी,
बदतर दिन, बेगैरत 
अंधियारी सूनी रात काली,
कोरे कोरे सपनों पर 
फिरा जैसे मैला पानी,
अंतहीन निज संघर्ष 
का बेनकाब खेल जारी,
अभुक्त अपयश कलह 
का वार बारी-बारी!! हां क्यों ना खोजूं मैं 
शब्दों में खोया प्रेम...
शहर रहा ये खाली,
कमरा खाली, नींद बागी
क्यों ना तड़पूं मैं... 
मय की नहीं मैं आदि,
ख्वाब बंजार, आंखें 
खाली, उम्मीदें अभागी,
हां क्यों ना खोजूं मैं 
शब्दों में खोया प्रेम...
शहर रहा ये खाली,
कमरा खाली, नींद बागी
क्यों ना तड़पूं मैं... 
मय की नहीं मैं आदि,
ख्वाब बंजार, आंखें 
खाली, उम्मीदें अभागी,
बरबस भगदड़ सी बेवजह 
मन में जागी कंगाली, 
निर्मोही बनी ना भूलकर 
कुछ भूलूं बात सारी,
बदतर दिन, बेगैरत 
अंधियारी सूनी रात काली,
कोरे कोरे सपनों पर 
फिरा जैसे मैला पानी,
अंतहीन निज संघर्ष 
का बेनकाब खेल जारी,
अभुक्त अपयश कलह 
का वार बारी-बारी!! हां क्यों ना खोजूं मैं 
शब्दों में खोया प्रेम...
शहर रहा ये खाली,
कमरा खाली, नींद बागी
क्यों ना तड़पूं मैं... 
मय की नहीं मैं आदि,
ख्वाब बंजार, आंखें 
खाली, उम्मीदें अभागी,
shree3018272289916

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हां क्यों ना खोजूं मैं शब्दों में खोया प्रेम... शहर रहा ये खाली, कमरा खाली, नींद बागी क्यों ना तड़पूं मैं... मय की नहीं मैं आदि, ख्वाब बंजार, आंखें खाली, उम्मीदें अभागी, #YourQuoteAndMine #a_journey_of_thoughts #Aʂɱҽҽƚα