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गुम अंधेरे सा, सुनसान कोठरी में, बंद कैदी सा, नन्ह

गुम अंधेरे सा, सुनसान कोठरी में,
बंद कैदी सा, नन्हा सा मेरा मन,

उड़ने की चाह,ललक आकाश छूने की,
 क्षितिज तक उड़ के जाने को करता है मेरा मन,

सुबह की पहली किरणों सा,
चांदनी रात के जैसा,
 दीयो सा जगमगा जाऊं करता है मेरा मन,

मन करता है जुगनू पकड़ लाओ ,
भागू तितलियों के पीछे,बह जाओ नदी के संग ,
चल दू किसी के संग आंख मीचे,

मन बावरा है करता है अटखेली,
 सुनता नहीं मेरी कहता नहीं कुछ,
 चुपचाप रहता है, हो जैसे कोई पहेली!!!

हृदय की भी सुनता नहीं मन,
 हूं भयभीत  देख कर यह प्रलयकारी स्पंदन,

एक भूचाल सा, रोके नहीं रुकता,
 कभी एक शांत तूफान सा है मेरा मन,

काबू कर ना पाई कभी मन की छवि को,
 बड़ा विकराल सा है मेरा मन!!!

-नीलम भोला मेरा मन
गुम अंधेरे सा, सुनसान कोठरी में,
बंद कैदी सा, नन्हा सा मेरा मन,

उड़ने की चाह,ललक आकाश छूने की,
 क्षितिज तक उड़ के जाने को करता है मेरा मन,

सुबह की पहली किरणों सा,
चांदनी रात के जैसा,
 दीयो सा जगमगा जाऊं करता है मेरा मन,

मन करता है जुगनू पकड़ लाओ ,
भागू तितलियों के पीछे,बह जाओ नदी के संग ,
चल दू किसी के संग आंख मीचे,

मन बावरा है करता है अटखेली,
 सुनता नहीं मेरी कहता नहीं कुछ,
 चुपचाप रहता है, हो जैसे कोई पहेली!!!

हृदय की भी सुनता नहीं मन,
 हूं भयभीत  देख कर यह प्रलयकारी स्पंदन,

एक भूचाल सा, रोके नहीं रुकता,
 कभी एक शांत तूफान सा है मेरा मन,

काबू कर ना पाई कभी मन की छवि को,
 बड़ा विकराल सा है मेरा मन!!!

-नीलम भोला मेरा मन
neelambhola9015

Neelam Bhola

New Creator