हयात- ए- क़फ़स में इच्छाओं लंबी सूची रे, मुर्शीद रहबर ने कर्म करने को भेजा था इस जहां में हमें, हे मनुष्य!..अफसुर्दगी का दामन छोड़!!!!कर्मशील बन!..बढ़त चलो आगे, निष्ठा से अथक परिश्रम से अर्जुमंद बनो रे। हयात- ए- क़फ़स,: जिंदगी का पिंजरा मुर्शीद रहबर: मार्ग दिखाने वाला अफसुर्दगी: उदासी अर्जुमंद: gentleman 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖