White दिनांक..9-5-24 विषय..अक्षय तृतीया पर विधा.. मुक्तक(2) 22---22---22---22 खुदा का हाथ सर होता है। फिर अब किसका डर होता है। अक्षय सुहाग मिला जब मुझको- सब कुछ फिर बहतर होता है। खुशियों का वो दर होता है। भर झोली दिलबर होता है। पूजो मालिक को तुम हरदम दुआओ का असर होता है। स्वरचित..✍️ रीतागुलाटी ऋतंभरा ©ऋतु गुलाटी ऋतंभरा #loअक्षय तृतीया परnely_quotes