White एक जूनून.. एक जूनून सा भरा हो, जब मन में । एक हुनर सा बसा हो, जब जीवन में।। कौन रोक सकता है, उसके सफऱ को। जब मजबूती से रखा, उसका हर कदम हो ।। वो नारीत्व का रूप धर, चमकती है धरा पर, वो दौड़ती है,भागती है, सब कुछ भूला कर। वो औरत जब चलती है, माँ का रूप धरकर ।। कौन उसे हरा सका है। गगन भी उसके सामने, सर झुका खड़ा है।। वो रूप जब धरती है, महाकाली का। महाकाल भी उससे डरा है..... वो संपूर्णता सहन शीलता, का गहना धारण करती है। वो खुद गौरवमयी होकर , कभी अभिमान ना करती है।। वो पत्नी तब, खुद पे गौरव करती है। जब अपनी मांग को सिन्दूर से भरती है।। वो अपने त्याग समर्पण से सारा घर रोशन करती है। वो महिला.. महिला दिवस नहीं, हर दिन अपने नाम लिखती है।। शिल्पी जैन ©chahat जूनून