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मुंतशिर हर साँस तन्हाई के आलम में आज भी इंतज़ार करत

मुंतशिर हर साँस तन्हाई के आलम में
आज भी इंतज़ार करती है धड़कनों का

न मालूम मुझे ही अपने दर्द की वजह
न इलाज मिल रहा आँखों के अश्क़ का

नाम भी पूछती हूँ पहचान पूछती हूँ मैं
ढूँढती हूँ कतरा-कतरा अपने वजूद का

बे-असर हर दुआ हर सजदा बेमानी हैं
न मिला मुझे पैग़ाम अब तक मेरे खुदा का

नहीं जानती अंज़ाम मैं इस ज़िंदगी का 
मिट जाए फासला अब हर ख़ुशी का प्रविष्टि-१
.
मुंतशिर हर साँस तन्हाई के आलम में
आज भी इंतज़ार करती है धड़कनों का

न मालूम मुझे ही अपने दर्द की वजह
न इलाज मिल रहा आँखों के अश्क़ का
मुंतशिर हर साँस तन्हाई के आलम में
आज भी इंतज़ार करती है धड़कनों का

न मालूम मुझे ही अपने दर्द की वजह
न इलाज मिल रहा आँखों के अश्क़ का

नाम भी पूछती हूँ पहचान पूछती हूँ मैं
ढूँढती हूँ कतरा-कतरा अपने वजूद का

बे-असर हर दुआ हर सजदा बेमानी हैं
न मिला मुझे पैग़ाम अब तक मेरे खुदा का

नहीं जानती अंज़ाम मैं इस ज़िंदगी का 
मिट जाए फासला अब हर ख़ुशी का प्रविष्टि-१
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मुंतशिर हर साँस तन्हाई के आलम में
आज भी इंतज़ार करती है धड़कनों का

न मालूम मुझे ही अपने दर्द की वजह
न इलाज मिल रहा आँखों के अश्क़ का
akankshagupta7952

Vedantika

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