सूरज न उगता कभी न ढल जाए, धरती करें सूरज की परिक्रमा तो रात और दिन कहलाएं, एक कोना किरण छुए जब दूजा ठंडाए, दूजा मिले उजाले से तो सुबह हो जाए.. ©Sandeep Kothar रात और दिन.. सूरज न उगता कभी न ढल जाए, धरती करें सूरज की परिक्रमा तो रात और दिन कहलाएं, एक कोना किरण छुए जब दूजा ठंडाए, दूजा मिले उजाले से तो सुबह हो जाए..