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समस्त जगत चित की मनोवृत्ति अंनत,असीमित भंडार हैं



समस्त जगत चित की मनोवृत्ति अंनत,असीमित भंडार हैं,
नजरिया सकारात्मक रखे तो वास्तव में अज़ीज उपहार है,
तृष्णा, लालसा जिज्ञासा के ये अमूल्य रत्न शब्दभंडार हैं,

जानने को जो हो उत्सुक,उनकी हसरते कभी पूरी नही होती,
रखे जो एकाग्रचित्त मन,उनकी कभी विवेकता समूल नष्ट नही होती,
तन्मय हो जो लक्ष्य के पीछे उनकी कभी मंजिल अधूरी नही रहती। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏

💫Collab with रचना का सार..📖

🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता:-102 में स्वागत करता है..🙏🙏

*आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।


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रखे जो एकाग्रचित्त मन,उनकी कभी विवेकता समूल नष्ट नही होती,
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