भर कर प्रेम प्रीत की झोली चंग बजाती होली, जाति भेद से परे रंगों की, लेकर के रंगोली। फाग उड़ाती, रंग लुटाती करती हँसी ठिठोली, टेसू के सुमनों से सजी, अल्हड़ सी थोड़ी भोली। थिरक रही संग पवन बसंती के बंजारन होली घर आंगन में महक रही खुशबू भी भीनी भीनी। गुझिया मेवे लेकर आई मस्तानों की टोली बुरा न मानो होली की बोली ने मिश्री घोली ख़ाक बुराई जगह की करने आई अलबेली होली। सुनीता बिश्नोलिया © #Happy Holi #होली # # # #