तेरे कदमों की आहट को मैं अब भी समझ जाती हुँ तेरे पायल की छनछन को मैं अब भी समझ जाती हुँ प्रकृति का तू रूप है जननी का तू स्वरूप है सहनशीलता की तू मूरत है कितनी प्यारी तेरी सूरत है काश मैं तुम सा बन पाऊं तेरे पग चिन्हों पे चल पाऊं जो संस्कार दिए तुमने जो व्यवहार दिए तुमने उस पथ पर मैं चल पाऊं तू गंगा की धारा है जो निरंतर बहती रहती है अपने ममता की छांव में सबको सहेजती रहती है माँ तेरे कदमों की आहट को मैं अब भी समझ जाती हुँ।। Maa tu kitni nirmal hai Maa tu kitni komal hai #maakapyaar #maakikuchbaatein #yqquotes #yqdidi