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पैने खंजर रोज चलाओ दिल पर,कोई बात नही दहक रही है क

पैने खंजर रोज चलाओ दिल पर,कोई बात नही
दहक रही है कलम हमारी कोरे ये जज़्बात नही 
चाहे कत्लेआम करो तुम या मुझको बदनाम करो 
मेरे गीत, ग़ज़ल पर बोलो इतनी भी औकात नही।

©Ashvani Kumar इतनी तो औकात नहीं
पैने खंजर रोज चलाओ दिल पर,कोई बात नही
दहक रही है कलम हमारी कोरे ये जज़्बात नही 
चाहे कत्लेआम करो तुम या मुझको बदनाम करो 
मेरे गीत, ग़ज़ल पर बोलो इतनी भी औकात नही।

©Ashvani Kumar इतनी तो औकात नहीं