छोटे मन से कोई बङा नहीं हो ता टूटे मन से कोई खङा नहीं होता हार नहीं मानूँगा राहें नहीं ठानूगा काले के कपाल पर लिखता ही जाता हूँ गिते नया गाता हूँ ©knhaiyalal Sain अटल बिहारी वाजपेई की कविता