कभी कभी साेचती हूँ कि रूठ जाउं मैं, छूपा कर मुँह तकिये में खुब आँसू बहाऊं मैं, फिर साेचती हूँ,जाे रूठ जाउं ताे मनाएगा काैन !! यूं नहीं राेते ,ये बात समझाएगा काैन !! ये साेच कर मैं आँसू पाेछ लेती हूँ खडी हाे शावर के निचे ,आँसूआें काे भींगाे लेती हूँ.. वाे सिर्फ माँ हाेती है,जाे अनकही भी जान लेती है चेहरा पानी से धूला है,या आँसूओं से भींगा है खुद हीं पहचान लेती है रूठना #मनाना #माँ #आँसू #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqtales #yqbhaijan