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शुक्र है खुदा का कि अंतरात्मा की चीखें बेआवाज़ हैं

शुक्र है खुदा का
कि अंतरात्मा की चीखें बेआवाज़ हैं
वर्ना उनके शोर में कोई जी नही पाता
                           शुक्र है खुदा का
                           कि आत्मा का दर्द आंखों से छलकता है
                           वर्ना बहरों के शोर में कोई समझ नही पाता
शुक्र है खुदा का
कि तुम हो साथ मेरे जैसे भी जितने भी
इंसानो के होने का वरना यकीन नही कर पाता
                           शुक्र है खुदा का
                           कि दीवारें मोटी हैं घरों की
                           चारदीवारों मे बंद चीखें कोई सुन नहीं पाता
शुक्र है खुदा का
नाखून दिए है मुझको, नोंच डालूं इस मन को
लहू ही बह ले, गर कुछ कह या कर नही पाता
                           शुक्र है खुदा का
                           अनजान है सभी दर्द की गहराइयों से
                           अनजान है सभी दर्द की सचाइयों से
                           के मासूमों के दर्द समझ, कोई मुस्का नहीं पाता
शुक्र है खुदा का
अंधे बहरों की दुनिया है
शुक्र अदा करते हम कितने नाशुक्रे हैं
जायज़ अच्छा सब संभव है, बस कोई कर नही पाता 
Shukra hai khuda ka
K antaratma ki cheekhein beawaz hain
Verna itne shor mey koi ji nahi pata

Shukra hai khuda ka
Antaratma ka dard ankho se chalakta hai
Behron k shor mey verna koi samajh nahi pata
शुक्र है खुदा का
कि अंतरात्मा की चीखें बेआवाज़ हैं
वर्ना उनके शोर में कोई जी नही पाता
                           शुक्र है खुदा का
                           कि आत्मा का दर्द आंखों से छलकता है
                           वर्ना बहरों के शोर में कोई समझ नही पाता
शुक्र है खुदा का
कि तुम हो साथ मेरे जैसे भी जितने भी
इंसानो के होने का वरना यकीन नही कर पाता
                           शुक्र है खुदा का
                           कि दीवारें मोटी हैं घरों की
                           चारदीवारों मे बंद चीखें कोई सुन नहीं पाता
शुक्र है खुदा का
नाखून दिए है मुझको, नोंच डालूं इस मन को
लहू ही बह ले, गर कुछ कह या कर नही पाता
                           शुक्र है खुदा का
                           अनजान है सभी दर्द की गहराइयों से
                           अनजान है सभी दर्द की सचाइयों से
                           के मासूमों के दर्द समझ, कोई मुस्का नहीं पाता
शुक्र है खुदा का
अंधे बहरों की दुनिया है
शुक्र अदा करते हम कितने नाशुक्रे हैं
जायज़ अच्छा सब संभव है, बस कोई कर नही पाता 
Shukra hai khuda ka
K antaratma ki cheekhein beawaz hain
Verna itne shor mey koi ji nahi pata

Shukra hai khuda ka
Antaratma ka dard ankho se chalakta hai
Behron k shor mey verna koi samajh nahi pata
jaisingh8835

Jai Singh

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