ठुकरा के गये जैसे जरूरत अब नहीं। लगता है भाती मेरी सूरत अब नहीं। हमको ही तो माने थे अपना देवता, है प्यार का मंदिर पर मूरत अब नहीं। #चतुष्पदी #विश्वासी