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चुप थे हम ने कब चाहा कि वो शख़्स हमारा ह

चुप थे हम ने कब चाहा कि वो शख़्स हमारा हो जाए
इतना दिख जाए कि आँखों का गुज़ारा हो जाए

हम जिसे पास बिठा लें वो बिछड़ जाता है
तुम जिसे हाथ लगा दो वो तुम्हारा हो जाए

तुम को लगता है कि तुम जीत गए हो मुझ से
है यही बात तो फिर खेल दुबारा हो जाए

है मोहब्बत भी अजब तर्ज़-ए-तिजारत कि यहाँ
हर दुकाँ-दार ये चाहे कि ख़सारा हो जाए

©Sam
  #koi hamara ho jaaye
samedatt2026

Sam

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#Koi hamara ho jaaye #Poetry

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