इश्क़ की यूं लत लगी ज़ालिम इस ज़माने में खुद पे ना कोई गौर है अब तू ही सब कुछ ज़ालिमा बेवजह जुल्फ़ें ये तेरी क़तल हमारा कर गयीं नींद भी गायब सी है अब ख़्वाब तू ही ज़ालिमा यूं तेरे चमकते हुस्न पे चाँद भी फीका पड़ा गुलाब की खुशबू है मीठी पर उसका नूर तू ही ज़ालिमा दिल की यें गुस्ताखियाँ अब रूह को तड़पा रहीं मैं हुँ कोई मुज़रिम दीवाना पर ज़ुल्म तू ही ज़ालिमा लफ्ज़ भी यूं कम पड़े तेरे हुस्न-ए-तारीफ़ में ग़ज़ल मैं हुँ लिख रहा पर स्याहीं तू ही ज़ालिमा - DEVANSH RAJPOOT #khubsuratalfaz #follow #ghazal