न जानें कितने जन्म ले चुके हैं इस धरती पर धरती माँ की कोख कभी ना हारी कलयुग के मानव के आगे धरती कहार रही हम चाँद मंगल ग्रह पर पहुंच कर अहंकार में हैं पर धरती माँ को रक्षा के लिए कुछ ना कर रहे हैं जीते जी समाज को मरने के बाद गंगा को अपवित्र कर रहे हैं कितना बोझ मां उठाएगी एक दिन वो भी थक जाएगी जिस दिन वो थक गयी हम सब खो जाएगे मां ना रही हम अनाथ नहीं कंकड़ पत्थर हो जाएगे हमारा वजूद कायम है जब तक माँ की छाँव है बिन माँ के बच्चो का होता बहुत बुरा हाल है कोशिश करूँगा खुद की बातों पे अमल कर सकूं पानी बचाऊंगा वृक्ष लगाऊंगा जब तक जिस्म में जान है ©Rajeev Bhardwaj लेखक #धरती #नोजोटो #राजीव_भारद्वाज VAniya writer *