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बसंत की प्रतीक्षा में मैंने लिखे है प्रेम गीत

बसंत की प्रतीक्षा में 
मैंने
 लिखे है प्रेम गीत  
रखी है होठों पर मुस्कान 
खोली है आशा की खिड़कियां 
सजा रखी है फूलों की दुकान  ,
ओढ़ गुलाबी ओढ़नी 
गाए जा रही फाग 
उम्मीद है आएगा 
बसंत मेरा 
मुंडेर पर आज फिर बोला काग

© Pallavi pandey
  बसंत

बसंत #कविता

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