*गुज़र जाते हैं खूबसूरत लम्हे ,* *यूं ही मुसाफिरों की तरह .* *यादें वहीं खड़ी रह जाती हैं ,* *रुके रास्तों की तरह .* *एक "उम्र" के बाद "उस उम्र" की बातें* *"उम्र भर" याद आती हैं ,* *पर "वह उम्र" फिर "उम्र भर" नहीं आती...* ©Anand Jha Good Morning Friends #bonding