मेरी मासूम ख़्वाहिशों का, कभी दम घुटने मत देना। बड़ी नाजुक है मेरी फ़ितरत, मुझे अब टूटने मत देना। एक सिक्के के दो पहलू हैं, कभी हार तो कभी जीत। मगर इतनी सी इल्तिजा है, मुझे अब लुटने मत देना। गवारा मुझको नहीं है अब, कि दिल दे के तुझे जाऊँ। मोहब्बत खूब कर ली हमने, मुझे अब झुकने मत देना। ये दिल तो हार चुकी थी मैं, सब कुछ अपना तुझे दिया। मगर अब ये होगा न हमसे, मुझे अब बहकने मत देना। तुम्हारी नजरों में मैं दिलबर, भले कुछ भी ना सही। अपनी नजरों में ही रखना, मुझे अब गिरने मत देना। ♥️ Challenge-493 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।