#अधूरी_मोहब्बत 2 कोई ता-उम्र भी इंतेज़ार करने को तैयार है किसी को खव्बो के पूरा होने का इंतेज़ार है | कोई दिल की बातें साफ़-साफ़ कह नहीं पाता किसी को खुले लफ़्ज़ों में इश्क़ से इंकार है | कोई एक मुद्दत से मिलने को बे-क़रार बैठा है किसी को मोहब्बत की बातों पे नहीं ऐतबार है | कोई इश्क़ में बिछड़ने को गम-ए-जुदाई समझता है किसी को दिल से याद करना भी लगता पहाड़ है | कोई दिल-ओ-जान से चाहने लगा है तुम्हें 'साबिर' किसी को इश्क़ और इश्क-बाज़ी लगता बेक़ार है | -साबिर बख़्शी #अधूरी_मोहब्बत #अधूरीमुलाक़ातें #yqbaba #yqdidi #yqbhaijan #sadpoetry #yaad