बहकावे में फिर क्यूँ न आऊँ उसकी अदा ही सरफरोश है काम कुछ लूँ तुमसे भी ऐ रात इसजहाँ को सुलाना भी कमाल है नफरत का शिकंजे में तू न आ कभी चाँद एक पर कयी तारों का सौगात है #lightindark #नफरतों_की_आग #मेरे_एहसास #जब_भी_मिलेंगे भी