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ग़ज़ल , एक अनकही कहानी ।। ठहर गए है हम ऐसे मकाम पर ,

ग़ज़ल , एक अनकही कहानी ।।
ठहर गए है हम ऐसे मकाम पर , 
कोई रास्ता न कोई दिखाता है अब ।

जो कहते थे हमदर्द बन कर बांट लेंगे हर दर्द ,
हर बार नया जख्म दे जाता है अब ।। 

यूँ तो वक़्त गुज़रता रहता है जनाब ,

ग़ज़ल , एक अनकही कहानी ।। ठहर गए है हम ऐसे मकाम पर , कोई रास्ता न कोई दिखाता है अब । जो कहते थे हमदर्द बन कर बांट लेंगे हर दर्द , हर बार नया जख्म दे जाता है अब ।। यूँ तो वक़्त गुज़रता रहता है जनाब , #अनुराग

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