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सौ गाली चुपचाप सुनी, फिर चक्र सुदर्शन चला दिया, इ

सौ गाली चुपचाप सुनी, फिर  चक्र सुदर्शन चला दिया,
इंद्र का मान मर्दन करने को, पर्वत गोवर्धन उठा लिया,
उसी उंगली के इशारों पर, मधुर तान बंसी  से निकली,
एक धागे का  कर्ज  चुकाने, चीरहरण  से  बचा लिया।

©RAVI Kumar
  #Sheher