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उड़ जाते हैं पत्ते दरख्तों से आंधियाों के साथ रह

उड़ जाते हैं पत्ते दरख्तों से आंधियाों के साथ 
रह जाते हैं निशां गुनाहों के क़ातिलों के साथ 
भाग ले मुल्क से दूर चाहे किसी भी दुनिया में
सज़ा हो जाती है कज़ा आहों की सदा केसाथ

©Shiv Narayan Saxena
  आहों की सदा केसाथ

आहों की सदा केसाथ #Shayari

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